Mechanical Properties of Metals in Hindi
जब किसी Metal (धातु) पर Force लगाया जाता है, तो Force के लगने से Metal में कुछ बदलाव होते है। इसी प्रकार अलग अलग Metal पर Force लगाने पर वह अलग अलग प्रकार की प्रतिक्रिया देते है, इन्हीं प्रतिक्रियाओ को हम Mechanical Properties of Metals कहते है।
Mechanical Properties of Metals in Hindi
- Strength (मजबूती, कड़ापन)
- Elasticity (लचीलापन)
- Plasticity (प्लास्टिकता)
- Hardness (कठोरता)
- Toughness (टफनेस)
- Ductility (तन्यता)
- Brittleness (भंगुरता)
- Stiffness (कठोरपन)
- Fatigue
- Creep
- Malleability (आघातवर्धनीयता)
- Resilience (लचीलाता)
- Tensile Strength (टैन्साइल स्ट्रैन्थ)
- Machineability (मशीनेबिलिटी)
- Compressibility (संपीड्यता)
Strength (मजबूती, कड़ापन)
जब हम किसी बॉडी को External Load देते हैं, तब उसके टूटने से पहले वह जितने Load को सहन कर सकता है, उसे ही हम Strength कहते हैं। बॉडी के टूटने से तुरंत पहले Maximum Stress Point को Ultimate Strength कहते है।
Elasticity (लचीलापन)
जब हम किसी बॉडी में एक्सटर्नल लोड लगाते हैं, तो उसके आकार में परिवर्तन आता है, और जब लोड हटा लेते हैं तो वह अपनी पुरानी अवस्था में आ जाता है। मटेरियल के इस गुण को Elasticity कहते हैं। इसी गुण का उपयोग करके धातु के स्प्रिंग बनाए जाते हैं।
Plasticity (प्लास्टिकता)
धातुओं में प्लास्टिसिटी एक सीमा तक रहती है। यदि इस सीमा से अधिक उन्हें डीफॉर्म (Deform) किया जाए तो वह बल हटाने पर भी अपनी पूर्व अवस्था प्राप्त नहीं करती तथा हमेशा के लिए अपने परिवर्तित आकार को अपना लेती है। धातुओं के इसी गुण को प्लास्टिसिटी (Plasticity) कहते हैं। इसी के कारण हम धातुओं की चादरों को विभिन्न प्रकार से परिवर्तन कर सकते हैं, ओर उससे हमारे उपयोग के सामान बना सकते है।
Hardness (कठोरता)
धातुओं का वह गुण जिसके कारण वे घिसने , कटने व खुरचने का विरोध करती हैं कठोरता ( Hardness ) कहलाता है । कुछ धातुएँ बहुत मुलायम ( Soft ) होती हैं जिन्हें आसानी से खुरचा ( Scrap ) जा सकता है जैसे – टिन व लैड ( Tin & Lead ) आदि , जबकि कुछ धातुएँ बहुत कठोर होती हैं जिन्हें आसानी से काटा या खुरचा नहीं जा सकता जैसे – इस्पात या टिटेनियम आदि।
Toughness (टफनेस)
धातुओं का वह गुण जिसके कारण वे चोट ( shock or impact ) को सहन करती हैं तथा मोड़ने , तोड़ने या मरोड़ने पर आसानी से टूटती नहीं हैं जैसे – टंग्स्टन , ताँबा , सोना आदि ।
Ductility (तन्यता)
जिस गुण के कारण धातुओं को खींचकर तार बनाए जा सकते हैं, वह तन्यता ( Ductility ) कहलाता है। लगभग सभी धातुओं के तार बनाए जा सकते हैं, जैसे आयरन, ताँबा, पीतल, एल्युमीनियम, सोना, चाँदी तथा प्लेटिनम आदि। जिस धातु का जितना अधिक पतला तार बनाया जा सकता है, वह धातु उतनी ही अधिक तन्य ( Ductile ) कहलाती है।
Brittleness (भंगुरता)
किसी बॉडी में अधिक Load से चोट लगाने पर उसके आकार में बिना परिवर्तन के टूट जाने का गुण ब्रिटलनेस कहलाता है। जैसे कि – कास्ट आयरन या सिलिकॉन पर चोट लगाई जाए तो इन धातु के टुकड़े टुकड़े हो जाते है।
Stiffness (कठोरपन)
किसी मटेरियल में अन्य दूसरे किसी मटेरियल की तुलना में होने वाला डिफॉर्मेशन उसकी स्टीफनेस को बताता है।
Fatigue
किसी भी मटेरियल का बार-बार साइक्लिक लोड किए जाने पर फैलियर हो जाना Fatigue कहलाता है।
Creep
किसी भी धातु या अधातु में लगातार Load लगाने के कारण उत्पन्न होने वाले Slow Plastic Deformation को Creep कहते हैं।
Malleability (आघातवर्धनीयता)
किसी मेटल को पीटने पर या रोलिंग करने पर दरार हुए बिना पतले चादर के रूप में फैलने की क्षमता को Malleability कहते है। इसी गुण का उपयोग करके धातुओं को चादर में परिवर्तित किया जाता है, धातुओं में सोना सबसे अधिक (Malleability) आघातवर्धनीय होता है।
Resilience (लचीलाता)
मेटल का Elasticity रूप में ऊर्जा अवशोषित करने की क्षमता को ही मेटल का Resilience कहते है।
Tensile Strength (टैन्साइल स्ट्रैन्थ)
धातुओं का वह गुण जिसके कारण वह खिंचाव बल ( Tensile Force ) का विरोध करती हैं। साधारणत : धातुओं में खिंचाव बल को सहन करने की अच्छी शक्ति होती है। RCC स्ट्रक्चर को टैन्साइल स्ट्रैन्थ देने के लिए ही उसमें स्टील – बार का प्रयोग किया जाता है।
Machineability (मशीनेबिलिटी)
धातुओं का वह गुण जिसके कारण उनके किसी छोटे भाग को काटकर अलग करने में कम बल की आवश्यकता होती है, मशीनेबिलिटी कहलाता है। कुछ धातुएँ, जो भंगुर होती हैं, उन्हें मशीन करने में कम बल की आवश्यकता होती है जबकि तन्य धातुओं को काटने में अधिक बल की आवश्यकता होती है। अत: भंगुर धातुओं की मशीनेबिलिटी (Machineability) अधिक होती है। ।
Compressibility (संपीड्यता)
धातु का वह गुण जिसके फलत: धातुं एक निश्चित सीमा तक दाब – बल लगाने पर दबती है परन्तु फटती नहीं। धातु की लम्बाई में दाब – बल लगाने से उसकी चौड़ाई में वृद्धि होती है और चौड़ाई या मोटाई में दाब – बल लगाने में लम्बाई में वृद्धि होती है।
Mechanical Properties of Metal
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Ha ye sahi hai
Mai kedr is baat se shmat hu
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