Bearing & Type of Bearing Hindi | बेयरिंग और उनके प्रकार
” किसी मशीन के घूमने वाले भागों को सहारा देने वाले Device को Bearing कहते हैं “
विभिन्न मशीनों में Power को Transfer करने के उद्देश्य से, विभिन्न शाफ्टों पर पुली, गियर, अथवा Cam को लगाया जाता है। इन Component के द्वारा शाफ़्ट पर अलग अलग Directions में Force लगता है।
इन बलों के परिणामस्वरूप शाफ्ट में Deviation पैदा होता है। इस Deviation का समस्त प्रणाली पर दुष्यभाव पड़ता है। इस Deviation को रोकने के उद्देश्य से शाफ्टों को एक विशेष प्रकार का Support वियरिंग के द्वारा दिया जाता है।
एक अच्छे बियरिंग में निम्न विशेषताएं होनी चाहिए :-
- बियरिंग का शाफ्ट के साथ Friction कम-से-कम होना चाहिए।
- बियरिंग शाफ्ट को सही स्थिति में रखने में सक्षम होना चाहिए।
- बियरिंग, कम्पनरहित तथा स्थिर आधार देने योग्य होना चाहिए।
- बियरिंग, शाफ्ट के द्वारा पड़ने वाले Load को सहने योग्य होना चाहिए।
- शाफ्ट के भार व गति के अनुरूप Bearing का चुनाव करना चाहिए।
- बियरिंग को बहुत अधिक स्थान नहीं घेरना चाहिए।
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Classification of Bearing | बियरिंग का वर्गीकरण
बियरिंग को कार्य की आवश्यकता अनुसार आकार, भार, डिजाइन तथा घर्षण के रूप में कई प्रकार से वर्गीकृत किया गया है, जिनमें मुख्य बियरिंग निम्न है :-
On the basis of shape – आकार के अनुसार
आकार के अनुसार बियरिंग मुख्यत : निम्न प्रकर की होती है :-
1 . Flat shape bearing / चपटे बियरिंग
जैसा कि इन बियरिंग के नाम से ही विदित हो रहा है, कि यह चपटे आकार के होते है , जो स्लाइड करने वाले पार्ट्स को सहारा देते हैं, इसलिए इन बियरिंग को स्लाइड बियरिंग या गाइड बियरिंग भी कहते हैं।
2. Round Bearing or cylindrical Bearing गोलाकार बियरिंग
इस प्रकार की बियरिंग आकार में गोल होती है, जो मशीनों में घूमते हुए पार्ट्स को सहारा देते हैं।
On the Basis of load – भार के अनुसार
भार के अनुसार बियरिंग निम्न प्रकार की होती हैं :-
1. Journal Bearing जनरल बियरिंग
इस प्रकार की बियरिंग को रेडियल बियरिंग भी कहते हैं। यह घूमती हुई शाफ्ट को गाइड करने के लिए प्रयोग की जाती है। इसमें भार सीधा बियरिंग पर पड़ता है, अर्थात् बियरिंग शाफ्ट की अक्ष रेखा के लम्बवत् लगी होती है।
2. थ्रस्ट बियरिंग Thrust Bearing
शाफ्ट की अक्ष के अनुरूप Load को सहन करने के लिए थ्रस्ट बियरिंग का प्रयोग किया जाता है। इसमें शाफ्ट पर collar बने होते हैं, जिन्हें बियरिंग की सतह पर सहारा जाता है। इस कारण इसे कॉलर बियरिंग (collar bearing) भी कहते हैं।
3. Foot step or Pivot Bearing फुट स्टैप या पिवट बियरिंग
इस प्रकार की बियरिंग घूमती हुई शाफ्ट को खड़ी अवस्था में सहारा देने के लिए प्रयोग की जाती है , जबकि बियरिंग दाब शाफ्ट के अक्ष के’ समानान्तर होता है, एवं शाफ्ट का एक किनारा बियरिंग के अन्दर रुका होता है।
4. Slipper or Guide Bearing स्लीपर या गाइड बियरिंग
इस प्रकार की बियरिंग घूमने वाले भागों को या अवयवों को सीधी रेखा में चलने में सहारा देती है।
On the Basis of friction घर्षण के अनुसार
घर्षण के अनुसार बियरिंग निम्न प्रकार की होती हैं :-
1. Friction Carrying Bearing घर्षणयुक्त बियरिंग
घर्षण बियरिंग में शाफ्ट की सम्पूर्ण सतह बियरिंग के Hole के अन्दर फिसलन करती है, तथा घर्षण (Friction) करती है। इस प्रकार के बियरिंग में अधिक घर्षण को कम करने के लिए Lubricant का प्रयोग किया जाता है। ये बियरिंग कम गति तथा अधिक भार पर चलने वाली शाफ्टों के लिए अधिक उपयुक्त हैं। घर्षण बियरिंग कई प्रकार की होती हैं।
A) Solid Bearing ठोस बियरिंग
यह एक ठोस , विशेष आकार में ढाली गई बियरिंग है, जिसके मध्य में शाफ्ट के लिए एक छिद्र होता है। शाफ्ट का Lubricantion करने के लिए ऊपर की ओर एक ऑयल होल (oil hole) बना होता है। ये बियरिंग कास्ट आयरन की बनाई जाती है। विशेष परिस्थितियों में ये ब्रास , गन मैटल अथवा ब्रोज की भी बनाई जाती हैं।
B) Bush Bearing बुश बियरिंग
ठोस वियरिंग में शाफ्ट चलते – चलते उसके बोर (bore) को घिसकर बढ़ाती रहती है। एक अन्तराल के पश्चात् समस्त वियरिंग ही बदलना पड़ता है। इससे बचने के लिए ठोस वियरिंग के बोर को बड़े व्यास का बनाकर उसमें गन मेटल का एक बेलनाकार बुश (bush) फिट कर दिया जाता है । बुश घिसने पर उसे सुविधापूर्वक बदला जा सकता है।
C) Shell Bearing शैल बियरिंग
सामान्यतः इस प्रकार की बेयरिंग दो भागों में बनी होती है, जिसमें बाहरी बॉडी वाले भाग गनमेटल, बोंज एवं कास्ट आयरन की बनाई जाती है, एवं आंतरिक भाग व्हाइट मेटल या डेबिट मेटल की लाइनिंग का होता है। इस प्रकार के बियरिंग की बाहरी सतह पर कॉलर लगी होती है। ये बियरिंग भारी कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है।
D) Split Bearing स्पलिट बियरिंग
इस प्रकार की बियरिंग को कास्ट आयरन के प्लम्बर ब्लॉक में फिट किया जाता है। इसकी बाहरी सतह पर कॉलर बनी होती है, और यह भी दो भागों में बनी होती है।
2. Anti friction bearing घर्षण विरोधी बेयरिंग
घर्षण बियरिंग में शाफ्ट की सतह बियरिंग के साथ घर्षण करती है, तथा घिसती है और कुछ समय पश्चात् बेकार भी हो सकती है। इससे बचने के लिए घर्षणरोधी बियरिंग प्रयोग किए जाते हैं। इन बियरिंगों में शाफ्ट सीधे घर्षण नहीं लेती, इसीलिए लम्बे समय तक चलने के पश्चात् भी शाफ्ट खराब नहीं होती। वियरिंग के खराब हो जाने पर मात्र उसको बदलने की आवश्यकता होती है। घर्षणरोधी बियरिंग में धातु की सतह एक-दूसरे पर नहीं फिसलती बल्कि उनके बीच में कुछ बॉल (ball) अथवा रोलर (roller) घूमते हैं।
Merits लाभ
- इस प्रकार की सतहों के मध्य मात्र रोलिंग फ्रिक्शन बियरिंग के मुख्य लाभ निम्न प्रकार है।
- इनमें घर्षण की मात्रा बहुत कम होती है।
- इनका जीवन काल ( life ) बहुत अधिक होता है।
- इनको बदलना आसान होता है।
- कम स्नेहन lubrication की आवश्यकता रहती है।
- अधिक गति पर भी सफलतापूर्वक कार्य करती है।
- विशेष शील्डेड वियरिंग में पुनः स्नेहन करने की आवश्यकता नहीं होती।
घर्षण रोधी वियरिंग का चुनाव , उस पर लगने वाले बल की दिशा को ध्यान में रखते हुए करते हैं। साथ ही बल का मान भी ध्यान में रखा जाता है।
एन्टी – फ्रिक्शन बियरिंग निम्न प्रकार की होती है :-
A) Bal Bearing बॉल बियरिंग
इस प्रकार के वियरिंग में इनर रेस (inner race) के ऊपर तथा आउटर रेस (outer race) के अन्दर के भाग में पूरी परिधि पर ग्रूव (groove) होता है। इन ग्रूवो (race – way) के मध्य कुछ बॉल , केज (cage) की सहायता से पूरी परिधि पर इस प्रकार फैली होती हैं कि दोनों रेस (inner and outer) एक-दूसरे के सापेक्ष अच्छी प्रकार घूम सकें।
इनमें बॉल का दोनों रेसों के साथ point-contactहोता है। घर्षण तथा आवाज को कम करने हेतु बियरिंग में ग्रीस अथवा ऑयल द्वारा स्नेहन करते रहते हैं। बाजार में ओपन (open) तथा शील्ड दोनों प्रकार के बियरिन उपलब्ध रहते हैं। शील्ड वियरिंग में ग्रीस भरने के पश्चात् दोनों ओर से शील्ड कर दिया जाता है , जिससे धूल आदि के कण अन्दर न जाएं। ये निम्न प्रकार की होती हैं।
1) Single Row Bal Bearing एकल पंक्ति बॉल बियरिंग
ऐसी बियरिंग जिनमें बाहरी एवं भीतरी रिंगों में केवल एक ही खांचा कटा होता है, एवं इनमें गोलियों की एक ही पंक्ति होती है , उन्हें एकल पंक्ति बॉल बियरिंग कहते हैं। इनका प्रयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है , जहाँ भार चारों ओर से पड़ता है।
2) Double Row Bal Bearing द्विपंक्ति बॉल बियरिंग
जिन बियरिंग के बाहरी तथा भीतरी रिंग में दो खांचे कटे हो और जिनमें गोलियाँ भी हो उसे डबल रॉ बॉल बिपरिंग कहते हैं। जिन स्थानों पर अधिक व एक ही दिशा से भार पड़े वहाँ इन बियरिंग का प्रयोग करते हैं ; जैसे – वर्टिकल मीलिंग इत्यादि ।
3) Assembly of Ball Bearings बॉल बियरिंग संयोजन
बॉल वियरिंग को संयोजित (assemble) करने के लिए सर्वप्रथम inner race को outer race के साथ Eccentrical स्थिति में रखा जाता है। फिर inner race व outer race के मध्य जहाँ अधिकतम clearance होता है, वहाँ से एक-एक करके गोलियाँ डालते जाते हैं। आवश्यक गोलियां डालने के बाद चकरियों को परस्पर केन्द्रीय स्थिति ( concentric ) में लाते हैं तथा गोलियों को पूरी परिधि पर समान रूप से स्थापित करते हुए रिटेनर या जाली लगा देते हैं।
B) Roller Bearing रोलर बियरिंग
घर्षणरोधी बियरिंग द्वारा जब अधिक भार ट्रांसफर किया जाता है। तो रोलर बियरिंग का प्रयोग किया जाता है। रोलर बियरिंग में सम्पर्क क्षेत्र अधिक होने के कारण घर्षण तो अधिक होता है , परन्तु उसकी भार सहन करने की क्षमता अधिक बढ़ जाती है।
इन बियरिंगों में बॉल के स्थान पर रोलर प्रयोग किए जाते हैं। रोलर बियरिंगों में रोलरों का दोनों रेस के साथ Line contact होता है। रोलर बियरिंग निम्न प्रकार की होती है।
1) Cyindical Roller Bearing बेलनाकार रोलर बियरिंग :
इस प्रकार की वियरिंग खोखले बेलनाकार रोलर से बनी होती है। इनका प्रयोग अधिक भार सहने वाली मशीनों में किया जाता है।
2) Barrel Roller Bearing बैरल रोलर बियरिंग
इस प्रकार की बियरिंग में जो रोलर बने होते हैं वो ढोलक के आकार के होते हैं। इनका व्यास पूरी लम्बाई में असमान होता है। ये बियरिंग सेल्फ अलाइनमेन्ट बियरिंग हैं, जिसके कारण इसे शाफ्ट को सीध में रखने में कठिनाई नहीं आती।
3) Needle Roller Bearing नीडिल रोलर बियरिंग
इस बियरिंग के अन्दर कम व्यास के पतले व लम्बे रोलर प्रयोग किए जाते हैं। ये रोलर केज में अथवा बिना केज के दोनों रेस के मध्य रहते हैं। इन रोलरों की लम्बाई व्यास से 5 से 10 गुना रखी जाती है। ये वियरिंग बहुत अधिक भार पर प्रयोग किए जाते हैं।
4) Taper Roller Bearing टेपर रोलर बियरिंग
ऐसे बियरिंग में जो रोलर होते हैं , वो टेपर में बने होते हैं। इनका व्यास एक सिरे से ज्यादा और दूसरे सिरे से कम होता है। ये बियरिंग भारी कार्यों के लिए तथा उच्च गति पर प्रयोग किए जाते हैं। इनकी अधिकतर ऑटोमोबाइल सैक्शन में प्रयोग किया जाता है।
C) Spherical Bearing स्फेरिकल बियरिंग
स्फेरीकल बियरिंग का उपयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है , जहाँ पर शाफ्ट में कोणीय विचलन ( angular deflection ) होने की सम्भावना होती है। इसमें रोलर अथवा बॉल केज (cage) के अन्दर इस प्रकार के फिट हुए रहते हैं , जिससे वे इनर रेस सहित आउटर रेस (outer race) में कोणीय विचलन लेने पर भी पूर्ण दक्षता से शक्ति पारेषण कर सकें।
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