Difference Between Petrol And Diesel Engine In Hindi
Diesel And Petrol Engine में ईंधन के अंतर के अलावा भी बहुत अंतर है, इनके अंतर को हम विस्तार से पढ़ेंगे, तो चलिए देखते है इनमे क्या क्या अंतर है :-
- Air Fuel Inlet
- सक्शन स्ट्रोक के समय केवल साफ हवा सिलेण्डर में आती है, जिसे आने में कोई असुविधा नहीं होती है।
- सक्शन स्ट्रोक के समय हवा एवं पेट्रोल का मिश्रण सिलेण्डर में जाता है, जिसे कार्बुरेटर के बहुत से टेढ़े – मेढ़े व संकरे भागों से निकलना पड़ता है।
- Compression Ratio
- Diesel Engine का कम्प्रेशन अनुपात 1:12 से 1:22 तक रहता है।
- Petrol Engine का कम्प्रेशन अनुपात 1 : 4 से 1:10 तक रहता है।
- Fuel ignition System
- Diesel Engine में ईंधन ( डीजल ) जलाने के लिए केवल कम्प्रैशन द्वारा हवा में उत्पन्न तापक्रम का ही प्रयोग किया जाता है। बैटरी का प्रयोग मोटर गाड़ी में लाइट, हॉर्न, सेल्फ स्टार्टर आदि के लिए ही किया जाता है।
- Petrol Engine में ईंधन (पेट्रोल) पेट्रोल जलाने के लिए काबुरेटर, इग्नीशन क्वॉयल , स्पार्क प्लग, डिस्ट्रीब्यूटर तथा बैटरी आदि की व्यवस्था करनी आवश्यक होती है ।
- Use of Fuel Pump
- Diesel Engine में फ्यूल इन्जेक्शन पम्प एक महत्त्वपूर्ण भाग है। इसी के द्वारा नियन्त्रित तथा दबाव के साथ डीजल का स्प्रे इन्जेक्टर द्वारा सम्भव हो पाता है
- Petrol Engine में फ्यूल पम्प इतना महत्त्वपूर्ण नहीं होता है। पेट्रोल टैंक को काबुरेटर की सतह से ऊँचा रख कर काम चलाया जा सकता है।
- Fuel Cost
- Diesel Engine सस्ता होता है, तथा एक HP शक्ति के लिए पेट्रोल की अपेक्षा भी कम होता है।
- Petrol की कीमत प्रायः अधिक रहती है, तथा एक HP शक्ति के लिए यह खर्च भी अधिक होता है।
- Engine Maintenance
- Diesel Engine का मूल्य बहुत अधिक होता है परन्तु उस पर रख – रखाव (Maintenance) का खर्च न के बराबर आता है। इस कारण लम्बे समय के उपयोग पर ये इंजन सस्ते सिद्ध होते हैं
- Petrol Engine का मूल्य तो कुछ कम रहता है, परन्तु उसके रख-रखाव (Maintenance) पर बहुत खर्च आता है इसलिए लम्बे समय के उपयोग पर ये इंजन महँगे सिद्ध होते है।
- Use Of Engine
- Diesel Engine में अधिक अश्व – शक्ति HP भी प्राप्त की जा सकती है, इसलिए ये भारी कार्यों में भी प्रयुक्त किये जा सकते हैं।
- Petrol Engine में उतनी शक्ति विकसित नहीं की जा सकती इसलिए बहुत भारी कार्यों मे इनका उपयोग नहीं किया जा सकता है।
- Working Principal
- Diesel Engine कॉन्सटैन्ट प्रेशर (Constant Pressure) साइकिल पर कार्य करते हैं
- Petrol Engine कॉन्सटैन्ट वॉल्यूम (Constant Volume) पर कार्य करते है।
- Start Timing Of Engine
- Diesel Engine ठण्डा होने की दशा में देर से स्टार्ट होता है।
- Petrol Engine ठण्डा होने पर भी शीघ्र स्टार्ट हो जाता है।
- Strength of Parts
- Diesel Engine का टॉर्क अधिक होने के कारण ट्रान्समिशन में भाग (Parts) अधिक मजबूत बनाने पड़ते हैं ।
- Petrol Engine का टॉर्क कम होता है, अत : उनके भाग बहुत अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता नहीं है।
- Use In Vehicle
- Diesel Engine का अधिकतर प्रयोग ट्रक , बस तथा ट्रैक्टर आदि में होता है।
- Petrol Engine का प्रयोग कार , स्कूटर मोटर साइकिल आदि में अधिक होता है।
- Battery Requirement
- Diesel Engine को स्टार्टिंग टॉर्क अधिक होता है, अत : बड़ी बैटरी की आवश्यकता सैल्फ के लिए होती है।
- Petrol Engine का स्टार्टिंग टॉर्क कम होने से उसमें सैल्फ के लिए छोटी बैटरी से काम चल जाता है।
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