Failure Mode and Effects Analysis क्या है हिंदी मैं?
Failure Mode and Effect Analysis (FMEA) एक टूल है, जिसकी मदद से हम Problems ओर Failures को Identify or Eliminate करते है, ताकि हमरी प्रोसेस में Undesirable Event ना हो ओर प्रोसेस ठीक से चलती रहे।
what is FMEA
FMEA एक Proactive Function है, जिसमें हम पहले ही Analyses कर लेते है, कि हमारी प्रोसेस में क्या – क्या प्रोब्लेम्स या Failures आगे आ सकते है, उनका हमारी प्रोसेस पर क्या Effect पड़ेगा, और उन Defect के क्या क्या संभव कारण हो सकते है।
FMEA full Form
FMEA का full Form “Failure Mode and Effects Analysis” है।
Quality management tool के 5 Core Tool है, जिनमे से FMEA एक है :-
- Advanced Product Quality Planning (APQP)
- Failure Mode and Effect Analysis (FMEA)
- Measurement Measurement System Analysis (MSA)
- Statistical Process Control (SPC)
- Product Product Part Approval Process (PPAP)
FMEA क्यों करना चाहिए?
- इसके द्वारा हम प्रोसेस में होने वाले Failure के बारे में पहले ही जान सकते हैं।
- Failures से हमरी प्रोसेस पर क्या Effect होगा उसे पता कर सकते है।
- जो Failure है वह कितना ज्यादा हानिकारक/नुकसानदायक है, इस बात का पता चलता हैं।
- जो भी हमारा Failure हुआ है, उसका क्या कारण था or वह हमें कितनी मात्रा में नुकसान दे रहा है, यह पता चलता है।
- FMEA हमरे उपलब्ध Control के बारे में बताता है, कि वह कितने प्रभावशाली है, क्या वह Failure को रोक सकते है या नहीं।
- Continual Improvement Process का एक भाग माना जाना है, प्रोसेस में लगातार सुधार होता है।
- यह Failure को अलग अलग करने में मदद करता है, जैसे कोन से Failure से ज्यादा नुकसान है, हमें तुरंत किस पर काम करना है।
- FMEA एक Record Document बन जाता है, कि हमने क्या क्या सुधार किए है और आगे क्या क्या सुधार कर सकते है।
FMEA किसे करना चाहिए?
Fema कोई अकेला आदमी नहीं करता इसमें Multi Discipline Team की जरूरत होती है, एक Cross Functional Team बनाते है, जिसमें को अलग अलग Department के Experienced लोग अपना – अपना Input देते है।
Steps of FMEA – FMEA के स्टेप्स
1. Describe the products function or the process purpose :- इसमें हम सबसे पहले प्रोडक्ट के फंक्शन और उसकी प्रोसेस के बारे में अच्छे से जान लेते हैं, ताकि उसमें Failure के क्या-क्या संभव कारण हो सकते हैं, उसका हम अच्छी तरीके से पता लगा सके।
2. What are the potential failures :- इसमें हम हमारी प्रोसेस में कितने तरीके के फैलियर्स हो सकते हैं, उनके बारे में पता लगाते हैं। वो हमरा कोई कंपोनेंट, प्रोसेस, सिस्टम, सब सिस्टम कुछ भी हो सकते हैं।
3. What is the effects of those failures :- इसमें हम इस बात को देखते हैं कि हमारे जो भी फैलियर्स हैं, उनका हमारी प्रोसेस ओर कस्टमर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। वह कितने घातक हैं, उनसे कितना नुकसान हो सकता है।
4. What is the the severity of the effect :- किसी भी Failure Mode के कारण जो हमारा डिफेक्ट जनरेट हुआ है, वह कितना ज्यादा severity (घातक) है। यह पता लगाने के लिए हम एक स्केल का उपयोग करते हैं, जिसमें 1 से 10 नंबर लिए जाते हैं जिसमें एक नंबर का मतलब सबसे कम घातक ओर 10 का मतलब सबसे ज्यादा घातक।
5. What causes each failure :- इसमें हम यह देखते हैं, कि हमारा जो प्रत्येक Failure है, उस अकेले का होने का क्या कारण है।
6. How likely is it to occur :- इसमें हम देखते हैं कि जो हमारा Failure आ रहा है, वह कितनी मात्रा में आ रहा है। वह ज्यादा है या फिर कम है, इसके लिए हम एक स्केल का उपयोग करते हैं।
जिसमें 1 से लेकर 10 तक नंबर होते है। जिसमें 1 का मतलब छोटा या कम मात्रा में Failure और 10 नंबर का सबसे बड़ा या ज्यादा मात्रा में Failure को बताता है।
7. What controls do we currently have in place :- इसमें हम देखते हैं कि, Failure Mode को रोकने के लिए हमारे पास तत्काल क्या कंट्रोल है, क्या उन कंट्रोल्स का उपयोग करके हम Failure को रोक सकते हैं।
8. What is the likelihood of dedicating the problem :- जब कोई फैलियर जनरेट होता है, तो क्या हम उस फैलियर को ढूंढ लेते हैं। तो उसकी फ्रीक्वेंसी क्या है कि हम उसे ढूंढ ले इसके लिए भी हम 1 से लेकर 10 तक नंबर वाले एक स्केल का उपयोग करते है।
जिसमें 1 का मतलब होता है, कि हां हम हमेशा उस डिफेक्ट को ढूंढ लेते हैं। और 10 का मतलब होता है कि, नहीं हम उस डिफेक्ट को नहीं ढूंढ पाते हैं वह कस्टमर के पास पहुंच जाता है।
9. Calculate the risk priority number (RPN) :- यह Severity, Occurrence, Detection का Multiplication नंबर होता है।
10. Address the biggest issue fast :- RPN नंबर निकाल कर हमें पता चल जाता है, कि किस Failure में ज्यादा Risk है, हमें किस Failure पर काम करना है। हम पहले Top 30% Failure पर कम करते है।
11. Who is going to complete the action and when will be done :- इसके बाद हम इसको ठीक करने के लिए एक Action Plan त्यार करते है। जिसमें इसे कोन ओर किस Date तक ठीक करेगा निश्चित करते है।
12. Follow up :- आगे हम Follow up लेते है, और उसे RPN नंबर से मैच करते है और देखते है की क्या हमारा डिफेक्ट/Failure था, वो हट गया या फिर अभी तक है।
13. Update Fmea :- इसमें हमने जो भी Action लिया था और उससे जो सुधार हुए है उसे हम Update करेंगे FMEA में।
Advantage of FMEA
- Preventive Action लेने लेने के लिए बहुत अच्छी तकनीक है।
- Interactive Process है जो कि कभी खत्म नहीं होती।
- हमें प्रोसेस और प्रोडक्ट के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है जिसका उपयोग हम बहुत सी जगह पर कर सकते है।
- इससे Process की क्वालिटी, रिलायबिलिटी, और सेफ्टी को बढ़ाती है।
- प्रोसेस के कॉस्ट और डेवलपमेंट टाइम में कमी होती है।
- हम Risk Reduction Activities को ट्रैक कर सकते है।
- यह Critical to Quality Characteristics को Identify करने में मदद करता है।
- यह Historical Record बनाने में मदद करता है।
- कस्टमर की संतुष्टि और सेफ्टी को बढ़ाता है।
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Sir send notes of new VDA+AIAG pfma
Sir new 5 core tool send notes of new VDA+AIAG