What is Statistical Process Control (SPC) in Hindi ?
Statistical Process Control (SPC) प्रोसेस को Monitor ओर Control करने का Scientific Visual Method है, इसके द्वारा हम Quality को Improve करते है। इसे हम Manufacturing, Services, ओर Financial Process में भी उपयोग कर सकते है। यह 5 Quality Management Tool का एक उपयोगी टूल है।
इसे सन 1920 में Dr. Walter A. Shewhart ने Bell Lab में बनया था, अभी हम इसके 2nd Edition का उपयोग करते है, जो की July 2005 में आया था।
SPC full form in Hindi
SPC full form in Hindi – SPC का पूरा नाम Statistical Process Control है ।
What Is Statistical Process Control (SPC)
सबसे पहले आप Statistical Process Control (SPC) मे इन शब्दों का क्या – क्या मतलब है, उसे जान लीजिये तो आपको समझने में आसानी होगी :-
- Statistics :- हम किसी भी प्रोसेस को जानने के लिए Sample डाटा का उपयोग करते है, और उससे हमें जो जानकारी मिलती है, उसे हम Statistics कहते है।
- Process :- Man, Machine, Material, Method, Environment की मदद से Input देकर Output ( Product ) में Convert करना ही Process कहलाता है।
- Control :– प्रोसेस में वेरिएबल को दिए हुए लिमिट्स के अन्दर कैसे बनाये रखे जिससे वह उन लिमिट के वाहर न जाये Control कहलाता है।
SPC में हम आंकड़ों के आधार पर Process को कंट्रोल करते हैं, साथ ही Process मे देखते है की उसका Behavior किस तरह का है, उसका Graph कैसे बन रहा है, उसमें क्या-क्या Variation आ रहे हैं, उसको कैसे Monitor करते हैं,और यदि उसमें कोई Defect आ रहे हैं तो,उसके Causes का पता करते हैं, और Process को सुधारने की कोशिश करते हैं।
Quality Management Tool के 5 कोर टूल है, यह इनमे से एक है :-
- Advanced Product Quality Planning (APQP)
- Failure Mode and Effect Analysis (FMEA)
- Measurement Measurement System Analysis (MSA)
- Statistical Process Control (SPC)
- Product Product Part Approval Process (PPAP)
Basis of SPC
SPC Production Process को Monitor करता है, Poor Quality Product को Detect or Prevent करने के लिए।
इसमें हम प्रोडक्ट के बहुत सारे Sample लेते है, उसमें हम रीडिंग्स लेते है, सभी Parts की उन्हें Subgroups में बाट देते है, फिर उनका Average निकलते है, इससे हमको एक Data मिल जाता है, इसे हम Control चार्ट में डालते है।
Control Chart में देखते है कि वह Control Limit से बाहर तो नहीं जा रहा है।
Variability
हमारी Process कभी भी एक समान नहीं होती है, उसमें कुछ ना कुछ Variations तो आते ही है, जो रिजल्ट हमे चाहिए होता है वह नहीं आता है, तो इनके कुछ ना कुछ Causes होते है वो 2 प्रकार के होते है :-
- Random Causes :- इसमें Common Causes आते है, जिन्हे हम सिस्टम को ओर ज्यादा Improve करके ठीक कर सकते है।
- Non Random Causes :- इन्हे हम Special Causes कहते है, ये Causes हमे साफ दिख जाते है, जैसे कि – प्रोसेस में Operator द्वारा कोई गलती की गई हो तो इसे हम अपने Management Action के द्वारा ठीक कर सकते है।
Quality Measures In SPC
Attributes
यदि हम Attributes की बात करें तो यह कुछ इस प्रकार के होते हैं- Go, NoGo, Ok, Not Ok, Good, Bad इनका उपयोग करके हम प्रोडक्ट की जांच करते है, कि प्रोडक्ट “Ok है या Not Ok” फिर इन्हीं के द्वारा Attribute Data को कलेक्ट कर लेते है।
इसमें हमें यह पता नहीं लगता की Product कितना सही है, और कितना गलत बस यह कह सकते है की गलत है या सही है।
Variable
इसमें इस प्रकार के Characteristics होते है :- length, weight, height, volume आदि, जिन्हें की Measure किया जा सकता है, और उसके बाद ही यह तय किया जाता है की product कितना सही है और Product में कितना Defect है।
Type of Control Chart
For Variable :- दो प्रकार के होते है।
- Mean Chart (X-Bar Chart)
- Range Chart (R-Chart)
For Attributes :- यह भी दो प्रकार के होते है।
- P-Chart
- C- Chart
इसके बारे मैं और पढ़े :- Control chart kya hai In Hindi | कंट्रोल चार्ट क्या है हिंदी में
Process Control Chart
- LCL :- यह Lower Control Limit होती हैं, इस लाइन के नीचे डेटा वेरियाबल नहीं जाना चाहिए।
- UCL :- यह Upper control limit होती हैं, इस लाइन के उपर डेटा वेरियाबल नहीं जाना चाहिए ।
- Average Process Line :- यह एवरेज प्रोसेस को दिखाता है, इस लाइन के उपर और नीचे ही प्रोसेस चलती रहती है। इस लाइन से जतना दूर डाटा Variable होंगे प्रोसेस में उतना ही वेरिएशन आते जायेंगे और यह यदि कंट्रोल लिमिट्स को पर कर देते है, तो हमारी Process Out of Control हो जाएगी।
Process Capability (CP)
Process Capability में हम यह देखते है, कि Product को बनाने के लिए दिए हुए Tolerance में हम प्रोडक्ट को बना पा रहे है या नहीं, यदि प्रोसेस में Variations आ रहे है, लकिन वह हमारे Tolerance के अन्दर ही है, तो इसका मतलब है कि, हम उस प्रोडक्ट को बना सकते है।
हमारे जो भी Product Design Specification है, यदि वह सब हमारे द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट में है, तो इसका मतलब है की हमारी प्रोसेस Capable है प्रोडक्ट को बनाने में और Process Capability भी बिलकुल ठीक है।
Natural Variation की Range कंट्रोल limit के अंदर होना चाहिए।
Difference Between CP and CPK
CP Index केवल Specification limit और Standard Deviation को ही कैलकुलेट करता है। मतलब कि हमारी Specification limit क्या दी हुई है, और उसके अनुसार हमारे Standard Deviation आ रही है, कहां पर हमारी प्रोसेस कितनी रेंज में आ रही है वही हम इसमें देखते हैं।
जबकि CPK में हम Specification Limit के अन्दर हमारी प्रोसेस को भी देखते हैं, और साथ ही साथ यह भी देखते है, कि वह Mean की तरफ Center में ही चल रही है ना कहीं वह एक साइड तो नहीं जा रही है।
CP में केवल हम Range को ही देखते है, लेकिन CPK में हम Range के साथ यह भी देखते है की Process Center में ही चले और किसी एक तरफ न चले वह Mean Line के पास रहे और कंट्रोल लिमिट्स में रहे।
Bahot accha explain Kiya.
Thank you very much.
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Dear sir,SPC babane ke liye kitne part ki jarurat hai?
Good explanation
Formula k saath explain kiya hota to deeply knowledge mil jaati
Bahut hi aache tarike se apni baat batayi h hme ache se samj me aaya h
Thanks
आपका धन्यवाद
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Apne bahut ache se samjaya , agar example bhi dia Hota to or bhi best rehta ….
Thanks sir,
It\’s very simple methods for understand. Mai apse achha knowledge liya. Very good evening.
Nice I like your explanation but you have also add about ndc and it value and cpk value that how much value we need to accept process…
Kya koi ye bta skta h ki spc mai kitne sample lete h
Min 20 sample total 7 days data collect
nice i like ur explaination. but how can i cantect u .
You are very good teacher for me because your understanding method is very good 👍 sir .
Ppap k baare me bhi bta dijiye