Control chart kya hai In Hindi

What is control chart | कंट्रोल चार्ट क्या है

“Control Chart प्रोसेस में हो रहे बदलाव (variation) को दिखाते हैं, कि उसमें कितना उतार-चढ़ाव हो रहा है,और इसके पीछे क्या क्या कारण है”


Control Chart के मुख्य भाग

  • LCL ओर UCL :- यह कंट्रोल की लिमिट्स होती हैं इनके उपर और इनके डेटा वेरियाबल नहीं जाना चाहिए। “UCL” upper control limit Or “LCL” lower control limit है।
  • X-Bar :- यह एवरेज प्रोसेस को दिखाता है।
  • No Action Zone :- यह+1से -1 के बीच में होता है इस ज़ोन में डेटा वेरिएबल है तो किसी भी प्रकार का कोई एक्शन लेने की जरूरत नहीं होती है।
  • Warning Zone :- यह ज़ोन +2 से -2 के बीच होता है यदि इस ज़ोन में हमरे डेटा वेरिएबल आ रहे है तो हमें सावधान हो जाने कि जरूरत है इसके उपर जाने पर कुछ भी ही सकता है।
  • Action Zone :- यह ज़ोन +3 से -3 के बीच में होता है इस ज़ोन में यदि हमरे डेटा वेरिएबल आ रहे हैं तो तुरंत एक्शन लेने की जरूरत है।

कण्ट्रोल चार्ट के प्रकार

  • For Variable :- दो प्रकार के होते है।
    1. Mean Chart
    2. Range Chart
  • For Attributes :- यह भी दो प्रकार के होते है।
    1. P-Chart
    2. C- Chart

Control Charts for variable

जब हम डेटा को length, weight, height or volume इस तरह के वेरिएबल के रूप में इकट्ठा करते है तब इनका उपयोग किया जाता है।

Mean Chart :- यह डाटा की Accuracy को Maintain करने में हमारी मदद करता करता है। Accuracy मतलब कि को हमें डेटा की Target Value के लगभग Close Value को बनाए रखने में हमरी मदद करता है क्योंकि प्रोसेस में variation तो होता ही रहता है।

Range Chart :- यह प्रोसेस के अंदर डेटा का Precision maintain करने में मदद करता है। जब मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस से कोई भी पार्ट बनता है तो उसका डिफरेंट मेज़रमेंट आता है, प्रोसेस में वेरिएशन होने के कारण कोई पा टारगेट वैल्यू के बिल्कुल पास हो सकता है तो कोई टारगेट वैल्यू से दूर। लेकिन वह दोनों पार्ट के बीच भी तो कुछ डिफरेंस होगा।

मान लीजिए टारगेट है 5 लेकिन कोई पार्ट बन रहा है 5.2, 5.4 या फिर 4.9 या 4.7 तो ये वेरिएशन को दिखाती है, यह टारगेट वैल्यू के जितने करीब होंगे हमारा प्रोडक्ट उतना ही अच्छा होगा उतना ही Prercise होगा।


Control Chart for Attributes

यदि हम Attributes की बात करें तो यह कुछ इस प्रकार के होते हैं- (Go, NoGo), (Ok, Not Ok), (Good, Bad) इनका उपयोग करके हम प्रोडक्ट की जांच करते है, कि प्रोडक्ट “Ok है या Not Ok” फिर इन्हीं के द्वारा Attribute Data को कलेक्ट कर लेते है।

P Chart :- यह Proportion Defective के लिए है, तो क्या होता है Propirtion Defect सरल शब्दों में कहें तो यह किसी डिफेक्ट का टोटल बैच में से Defected होने का Number of Percentage होता है।

मान लीजिए कि कैसी बैच में 100 Parts रखे हुए है उन सभी Parts को हमने जांच तो उसमें हमको 10 Part Defective मिले तो, हमारा प्रोपेशन डिफेक्टिव 10% हुआ।

C chart :- यह पर्टिकुलर डिफेक्ट के Count को समझने के लिए होता है।


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