Tolerance In Hindi – टॉलरैन्स क्या है ?
किसी जॉब के अपर लिमिट साइज (Upper Limit Size) तथा लोअर लिमिट साइज (Lower Limit Size) के अन्तर को Tolerance कहते हैं। Tolerance किसी जॉब की Accuracy को प्रदर्शित करती है, यह हमेशा Positive रहती है तथा इसके साथ में कोई चिह्न प्रयोग नहीं किया जाता। आइए जानते है, Tolerance In Hindi बारे मे ओर अधिक एक उदाहरण से समझते है
उदाहरण – के लिए जॉब के साइज में दी गई Tolerance को यदि ग्राफ द्वारा दर्शाया जाए तो उसको Tolerance Zone कहते हैं। जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है :-
यदि किसी जॉब का साइज 25 -0.01, +0.02 के द्वारा दिया गया है, तो जॉब की अपर लिमिट साइज = 25 + 0.02 = 25.02 मि. मी.
जॉब की लोअर लिमिट साइज 25-0.01 = 24.99 मि. मी. , जॉब की टॉलरैन्स = 25.02 – 24.99 = 0.03 मिमी
Type Of Tolerance In Hindi – प्रकार
- Unilateral Tolerance – यूनिलेटरल टॉलरेन्स
- Bilateral Tolerance – बाईलेटरल टॉलरेन्स
- Fundamental Tolerance
1. Unilateral Tolerance – यूनिलेटरल टॉलरेन्स
Unilateral Tolerance में जॉब के बेसिक साइज में केवल एक ही ओर Deviation होता है, तथा दूसरा डेविएशन जीरो Zero होता है, जैसे कि चित्र ( a ) में 22 -0.00 से +0.02 अथवा 40 -0.01 से +0.02 अथवा 24 -0.01 से +0.00 को दर्शाया गया है।
2. Bilateral Tolerance – बाईलेटरल टॉलरेन्स
इस प्रकार के टॉलरेन्स में जॉब के बेसिक साइज में दोनों ओर दोनों डेविएशन अपर तथा लोअर (upper and lower) रहते हैं ; जैसे कि चित्र (b) में 48 -0.02, से +0.04 को दर्शाया गया है।
3. Fundamental Tolerance
भारत में ब्यूरो ऑफ इण्डियन स्टैण्डर्ड सिस्टम (BIS system) के द्वारा टॉलरेन्स 18 के ग्रेड्स निर्धारित किए गए हैं, जो कि विभिन्न प्रकार की फिट देने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
ये ग्रेड्स (Grades) होल (Hole) तथा शाफ्ट (shaft) दोनों के लिए समान रूप से कार्य करते हैं। जितना बड़ा नम्बर होता है, उतनी ही ज्यादा बड़ी टॉलरेन्स जोन होती है। इनको ITO1, ITO, IT1…… IT16 द्वारा दर्शाया गया है।
विभिन्न व्यासों के लिए टॉलरैन्स के ग्रेड्स हम तालिका से ज्ञात कर सकते हैं। किसी टॉलरेन्स के साइज को दर्शाने के लिए पहले बेसिक साइज लिखा जाता है।
तत्पश्चात् फण्डामेन्टल डेविएशन तथा उसके बाद टॉलरेन्स का ग्रेड, जैसे – 30H7, इसमें 30 बेसिक साइज , H फण्डामेन्टल डेविएशन तथा 7 ग्रेड ऑफ टॉलरैन्स को प्रकट करता है।
Allowance In Hindi
आपस में मिलने वाले दो पास की फिटिंग को ध्यान में रखते हुए उनके साइजों में जो अन्तर रखा जाता है, उसे एलाउन्स (Allowance) कहते हैं।
Allowance दोनों पार्ट्स के साइजों पर निर्भर करता है। फिटिंग के स्वभाव के अनुसार एलाउन्स Positive तथा Negative हो सकता है।
Type of Allowance
दो प्रकार का होता है।
- Maximum Allowance – अधिकतम एलाउन्स
- Minimum Allowance – न्यूनतम एलाउन्स
1) अधिकतम एलाउन्स – Maximum Allowance
किसी होल साइज की अपर लिमिट तथा शाफ्ट साइज की लोअर लिमिट के अन्तर को अधिकतम एलाउन्स (Maximum Allowance) कहते हैं।
जैसा कि निम्न चित्र में एक क्लीयरेन्स फिट में अधिकतम तथा न्यूनतम एलाउन्स को दर्शाया गया है, जिसमें
होल का साइज 20 -0.000 मिमी से +0.020 तथा
शाफ्ट का साइज 20 -0.020 से -0.007 मिमी है।
यहाँ अधिकतम एलाउन्स = 20.020 – 19.980 = 0.040 मिमी होगा।
2) न्यूनतम एलाउन्स – Minimum Allowance
किसी होल साइज की लोअर लिमिट तथा शाफ्ट साइज की अपर लिमिट के अन्तर को न्यूनतम एलाउन्स ( minimum Allowance ) कहते हैं।
चित्र में दर्शायी गई क्लीयरैन्स फिट में , न्यूनतम एलाउन्स = होल की लोअर लिमिट – शाफ्ट की अपर लिमिट अर्थात् न्यूनतम एलाउन्स
20.000 -19.993 = 0.007 मिमी
चित्र में एक इण्टरफीयरैन्स फिट (interference fit) का उदाहरण दिया गया है, तथा उसमें अधिकतम व न्यूनतम एलाउन्स दर्शाए गए हैं। यहाँ पर हम देखेंगे कि ये एलाउन्स ऋणात्मक ( – ) हैं।
इण्टरफीयरेन्स फिट में एलाउन्स ऋणात्मक होते हैं। यहाँ पर होल का साइज 25 -0.000 से +0.001 मिमी तथा शाफ्ट का साइज 25 -0.000 से 0.001 मिमी है।
अधिकतम एलाउन्स = 25.001-25.022 = -0.021
न्यूनतम एलाउन्स = 25.000-25.035 = -0.035
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